मुख्यमंत्री सुगम सड़क योजना में विधायक वोरा ने मांगे 2.5 करोड़ कहा सार्वजनिक स्थलों में बेहतर पहुंच मार्ग आवश्यक

मुख्यमंत्री सुगम सड़क योजना में विधायक वोरा ने मांगे 2.5 करोड़ कहा सार्वजनिक स्थलों में बेहतर पहुंच मार्ग आवश्यक


दक्षिणापथ समाचार सेवा वर्तमान समाज बाजारवाद से चहुंओर घिरा हुआ हैं। रोज नये नये प्रोडक्ट आ रहे हैं । घर का सारा बजट बढ़ गया है। सोचिए घर के सफाई में ही कितना खर्च होता है? पहले 50 पैसे की बाहरी से काम चल जाता था, पर आज 70 रु की ब्रांडेड झाड़ू चाहिए। पहले चेंदरी से पोछा लगा लेते थे, आज ब्रांडेड पोछा आ गया या यूं कहें कि 35 हजार का पोछा मशीन आ गया है। पहले केवल फिनायल से डिसइंफेट करते थे ।अब पोछा के लिए अलग, बाथरूम के लिए अलग, टायलेट के लिए अलग , हैंडवाश, शैंपू, कंडिशनर, शावर जेल, विम बार,विम लिक्विड जैसे तरह तरह की उपभोक्ता चीजों के हम आदी होते जा रहे हैं। किन्तु यही हमें भारी पड़ रहा है। पहले बच्चा सुबह से शाम तक एक ही कपड़ा पहनता था, स्कूल गया तो स्कूल ड्रेस ,अब तरह तरह के कपड़े ,नाईट ड्रेस, खेलने गया वो अलग ,सोने गया वो अलग । एक बाल्टी कपड़ा एक ही आदमी का हो गया। पहले घर में एक दो ही कंघी होती थी नारियल तेल या घर का तिलक तेल अब घर के सभी सदस्यों का अलग अलग ब्रांड,अलग अलग बेड रुम पहले एक ही परछी में सबका बेड लग जाता था,एक टेबल फेन अपनी ओर घुमने के इंतजार के इंतजार में नींद आ जाती है अब हर रुम में एसी ,यही हमारी महंगाई का रोना रोने का कारण है ,हमने अपनी आदतें महंगी कर ली है । कपड़ों की भरमार से अलमारियां भरी पड़ी हैं । परिवार का बजट गड़बड़ा गया है इसके लिए दोषी कौन? सिस्टम को गाली देंगे, सरकार को कोसेंगे अपनी आदतों को सुधारने की ओर ध्यान नहीं देते। बढ़िया बड़ी चमचमाती कार चाहिए जिसका माइलेज कम है और पेट्रोल के रेट का रोना वही रोता है , बहुत सी गाड़ियां ऐसी भी है जिसका माइलेज अच्छा है उसको लोग उपयोग करते हैं वेगनआर , हमने अपने स्टेटस मेंटेन करने के लिए अपनी आदतों को महंगा कर दिया है , इसके लिए दोषी कौन?