चुनावी शोर, बस्तर पर सारा जोर...

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RO No. 12652/113

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-भाजपा प्रभारी का हवाई दौरा, कांग्रेस का मैदानी सम्मेलन
रायपुर ।  छत्तीसगढ़ के चुनावी शोर में कांग्रेस और भाजपा का सारा जोर 90 में से 12 विधानसभा सीटों वाले बस्तर पर है। इस समय इन सभी सीटों के साथ बस्तर संभाग की दो लोकसभा सीटों में से एक बस्तर संसदीय निर्वाचन सीट पर भी कांग्रेस काबिज है। विधानसभा चुनाव में दंतेवाड़ा सीट छोड़कर सभी सीटें कांग्रेस के खाते में गई थीं। लोकसभा चुनाव के दौरान नक्सली हमले में बस्तर से भाजपा के इकलौते विधायक भीमा मण्डावी के निधन से रिक्त सीट कांग्रेस ने उपचुनाव में भाजपा से छीन ली। बस्तर टाइगर महेंद्र कर्मा की पत्नी देवती कर्मा ने भीमा मण्डावी की पत्नी तेजस्विनी मण्डावी को पराजित कर बस्तर में भाजपा की विधायक संख्या शून्य कर दी। अब कांग्रेस की हर सम्भव कोशिश है कि बस्तर में पिछला प्रदर्शन दोहराया जाए। वह अपनी अर्जित सीट सम्पदा को सुरक्षित रखने मेहनत कर रही है तो भाजपा बस्तर में बीते चार साल से अपनी खोई हुई जमीन तलाश रही है। उसने विधानसभा चुनाव, उपचुनाव और लोकसभा चुनाव में बस्तर में हार के कारणों पर बहुत मंथन किया है। वैसे विधानसभा चुनाव में उसके बिखरने की सीधी सपाट वजह उसके जनप्रतिनिधियों के प्रति जनता और कार्यकर्ताओं की नाराजगी है। लोकसभा चुनाव में हार का कारण प्रत्याशी चयन में  चूक है। दंतेवाड़ा विधानसभा सीट रिक्त होने और छिनने की वजह भी काफी हद तक यही है। यदि भाजपा ने भीमा मण्डावी को बस्तर से लोकसभा चुनाव में टिकट दी होती तो वे आसानी से नक्सलियों के निशाने पर नहीं आते। भाजपा ने बस्तर में विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार से तब कोई सबक नहीं लिया लेकिन वह इस बार फूंक फूंक कर कदम रख रही है। भाजपा की प्रदेश प्रभारी रहते हुए डी. पुरंदेश्वरी ने बस्तर को ठीक वैसी ही प्राथमिकता दी, जैसी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने दी थी। पिछले चुनाव में कांग्रेस ने बूथ स्तर पर बहुत ठोस तैयारी की थी। भाजपा का बूथ मैनेजमेंट बिखरा हुआ था। भाजपा के विधायकों और कार्यकर्ताओं के बीच तालमेल नहीं होना भाजपा को भारी पड़ गया। अब यही समस्या कांग्रेस के साथ है। उसके कई विधायकों का प्रदर्शन कुछ अच्छे संकेत नहीं दे रहा। कांग्रेस यह समझ रही है, इसलिए बूथ स्तर पर कसावट के लिए तैयार है। बस्तर में कभी भाजपा तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के भरोसे रहती थी। अब कांग्रेस मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के भरोसे है। वे बस्तर पर बहुत ध्यान दे रहे हैं। जरूरत पड़ी तो कुछ मौजूदा विधायक बेटिकट हो सकते हैं। भानुप्रतापपुर उपचुनाव में अभी भारी सफलता से कांग्रेस उत्साहित है लेकिन उपचुनाव की परिस्थिति और चुनाव के बीच फर्क होता है। कांग्रेस 2 जून को बस्तर में संभागीय सम्मेलन करने वाली है। दिल्ली में बस्तर सहित पूरे छत्तीसगढ़ की तैयारियों की समीक्षा बैठक के बाद कांग्रेस बस्तर सम्मेलन में ताकत झोंकेंगी। कांग्रेस की राष्ट्रीय नेता प्रियंका गांधी वाड्रा की मौजूदगी में बस्तर में भरोसे का सम्मेलन हो चुका है। झीरम कांड की दसवीं बरसी पर भूपेश बघेल ने भाजपा के खिलाफ जो आक्रामकता दिखाई, वह भी बस्तर की तैयारियों का एक रणनीतिक हिस्सा माना जा रहा है। भाजपा ने भी तैयारी कर रखी है। उसके प्रदेश प्रभारी बस्तर के सातों जिलों का हवाई दौरा कर संगठन बैठकें लेने वाले हैं। 28 से 31 मई तक वे बस्तर के दौरे पर रहेंगे। भाजपा और कांग्रेस का सबसे ज्यादा फोकस बस्तर पर इसलिए भी है कि बस्तर जिसका साथ देता है, वह सत्ता में आ जाता है।