स्वाति और विशाखा नक्षत्र के शुभ संयोग के साथ आज घर-घर विराजेे गणपति बप्पा
रायपुर । भादो मास के शुक्ल चतुर्थी के पावन अवसर पर आज विघ्नहर्ता भगवान गणेश की स्थापना घर-घर की जाएगी। राजधानी रायपुर में गणेशोत्सव की धूम आज से शुरू होगी और लगातार 11 दिनों तक चलेगी। शहर में इस बार 1 हजार से अधिक स्थानों पर बप्पा विराजमान हो रहे हैं।
सनातन धर्म की मान्यता है कि भगवान गणेश की उपासना करने से सुख-समृद्धि, बुद्धि व बल आदि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश जी ऋद्धि-सिद्धि के साथ भू-लोक पर आते हैं और अपने भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं। यही वजह है कि प्रतिवर्ष गणेशोत्सव मनाया जाता है। भगवान गणेश जी को दूर्वा और मोदक अत्यंत प्रिय है। उदयातिथि के अनुसार आज 19 सितंबर को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जा रहा है।
भद्रा का साया पर निवास पाताल लोक में :
आज गणेश चतुर्थी पर सुबह से ही भद्रा लगा है. भद्राकाल सुबह 06:08 से दोपहर 01:43 तक है. लेकिन गणेश जी की पूजा और मूर्ति स्थापना पर इसका प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि इस भद्रा का वास पाताल लोक में होगा ।
शुभ योग :
इस साल गणेश चतुर्थी पर 300 साल बाद ब्रह्म, शुक्ल और शुभ योग का अद्भुत संयोग बना है। साथ ही स्वाति नक्षत्र और विशाखा नक्षत्र भी रहेंगे।
चतुर्थी विशेष मुहूर्त :
गणेश चतुर्थी पर आज विशेष मुहूर्त की बात करें तो, सुबह 09:10 से दोपहर 01:43 के दौरान चर, लाभ और अमृत के शुभ मुहूर्त हैं। ऐसे में गणपति की स्थापना आप सुबह 09:10 से दोपहर 01:43 के बीच कर सकते हैं। लेकिन सुबह 11:01 से विशाखा नक्षत्र में वृश्चिक लग्न में श्रीगणेश की स्थापना करना श्रेष्ठ रहेगा।
चतुर्थी व्रत व पूजन विधि :
व्रती को चाहिए कि प्रात: स्नान करने के बाद सोने, तांबे, मिट्टी की गणेश प्रतिमा लें। चौकी में लाल आसन के ऊपर गणेश जी को विराजमान करें। गणेश जी को सिंदूर व दूर्वा अर्पित करके 21 लडडुओं का भोग लगाएं। इनमें से 5 लड्डू गणेश जी को अर्पित करके शेष लड्डू गरीबों या ब्राह्मणों को बांट दें। सांयकाल के समय गणेश जी का पूजन करना चाहिए। गणेश चतुर्थी की कथा, गणेश चालीसा व आरती पढऩे के बाद अपनी दृष्टि को नीचे रखते हुए चन्द्रमा को अघ्र्य देना चाहिए। इस दिन गणेश जी के सिद्धिविनायक रूप की पूजा व व्रत किया जाता है। ध्यान रहे कि तुलसी के पत्ते (तुलसी पत्र) गणेश पूजा में इस्तेमाल नहीं हों। तुलसी को छोड़कर बाकी सब पत्र-पुष्प गणेश जी को प्रिय हैं। गणेश पूजन में गणेश जी की एक परिक्रमा करने का विधान है। मतान्तर से गणेश जी की तीन परिक्रमा भी की जाती है।