भूपेश के भरोसा पर भारी पड़ रहा मोदी की गारंटी...

दक्षिणापथ। छत्तीसगढ़ की शेष 70 विधानसभा सीटों पर चुनाव के लिए संपूर्ण तैयारी पुरी की जा रही है ।पहले फेस में 20 सीटों पर मतदान हो चुका है, अब 70 सीटों पर मतदान कल 17 नवंबर को होना है। इन 70 सीटों पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू, कैबिनेट मंत्री रविंद्र चौबे, गुरु रूद्रकुमार समेत छत्तीसगढ़ के बड़े नेताओं के भाग्य का फैसला कल होना है।
पिछले एक हफ्ताह के दौरान छत्तीसगढ़ की राजनीतिक फिजा में जादूई किस्म का परिवर्तन देखने को मिला है। कांग्रेस के पक्ष में फील गुड की जो हवा बह रही थी, वह धीरे-धीरे बदलाव के स्तर पर पहुंच कर आज कांग्रेस के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर चुका है। मतदाताओं में परिवर्तन की लहर पहले से रही होगी, मगर चुनाव की तिथि आते-आते वह सतह पर आ गई । फिर भी ऐसा कहा जाना जल्दबाजी होगा कि छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन निश्चित तौर पर होगा। तथापि यह कहने में गुरेज नहीं कि मतदाताओं का मन वृहद स्तर पर बदला है। भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी से ज्यादा मोदी का चेहरा बड़ा फैक्टर बन चुका है। महतारी योजना के तहत प्रत्येक महिलाओं को ₹12000 देने का मोदी ने जो वादा किया था उसके जवाब में भूपेश बघेल ने भी 15000 देने का घोषणा किया है किंतु मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की वह घोषणा पर लोग एकाएक भरोसा नहीं कर पा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में हिंदुत्व की एक लहर चल पड़ी है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार में जिस तरह से एक पक्ष विशेष के लोगों का बोलबाला बढ़ा, उसे लोगों ने पसंद नहीं किया। तूष्टिकरण की राजनीति को जवाब देने का मन जनता बना चुकी है। और चुनाव के वक्त महादेव एप का बड़ा घोटाला सामने आया, इस घोटाले को भूपेश सरकार से जोड़ने की सीधी कोशिश की गई इस कोशिश में कामयाबी भी मिली। इसके अलावा पीएससी घोटाला, कर्मचारियों का असंतोष जैसे मुद्दे ने हवा का रूप बदल दिया।
मतदाताओं का टोह लेने पर पता चलता है की जनता मोदी सरकार की नीतियों से प्रभावित है। मोदी ने जिस तरह से डबल इंजन की सरकार का खाका खींचा और कहां की छत्तीसगढ़ को देश के अग्रणी 10 राज्यों में ला खड़ा करूंगा, उसे लोगों ने स्वीकार किया।
आज छत्तीसगढ़ में स्थिती यह है कि सरकार के बड़े मंत्री भी अपने-अपने क्षेत्र में घीर चुके हैं। भाजपा का प्रत्याशी चयन का असर भी साफ दिख रहा है, भाजपा प्रत्याशियों पर मोदी फैक्टर हावी है।
बता दे कि चुनाव के बीच बहने वाला अंडर करंट चुनाव की तिथि नजदीक आते-आते असर दिखने लगा है। भाजपा के बड़े नेताओं की सभा के चलते छत्तीसगढ़ में ऐसा माहौल बन गया है कि परिवर्तन जरूरी है । जाहिर है बदलाव कि यह लहर दो-चार दिनों में नहीं आई है बल्कि इसकी हवा जमीन पर महीना भर पहले बहनी शुरू हो गई थी। आज उसे ग्रास रूट के मंतव्य को समझा जा सकता है।
हालांकि चुनाव परिणाम 3 दिसंबर को आएगा। ईतने सालों में छत्तीसगढ़ की मतदाता कितने परिपक्व पहुंच चुके हैं कि अंदर ही अंदर अपना वोट दे आते हैं और किसी से ज्यादा कुछ कहते नहीं। पिछले चुनाव में यह उदाहरण देखने को मिल चुका है।