मेहतर वर्मा व उषा बारले के भाजपा प्रवेश के मायने...!

दुर्ग। राजनीति के क्षेत्र में दुर्ग जिले में तीन बड़ी घटनाएं हुई है। सबसे पहले पाटन क्षेत्र के ग्राम अरसनारा निवासी मेहतर वर्मा का कांग्रेस छोड़कर भाजपा प्रवेश।
दूसरा पद्मश्री उषा बारले का भाजपा प्रवेश और तीसरा अहिवारा के प्रथम बाफना को प्रदेश कांग्रेस कमेटी में महासचिव का पद देना। पहली घटना पर आते हैं, पाटन क्षेत्र के मेहतर वर्मा 11 साल तक ब्लॉक कांग्रेस कमेटी पाटन के अध्यक्ष रहे हैं। इसके अलावा मनवा कुर्मी समाज के पाटन राज के अध्यक्ष का दायित्व भी संभाल चुके हैं। बरसों तक मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अनन्य सहयोगी रहे मेहतर वर्मा का भाजपा प्रवेश के कई मायने हैं । हालांकि कांग्रेस के सेहत पर मेहतर वर्मा का पार्टी छोड़ने का असर ज्यादा ना पड़े। मगर यह सोचने वाली बात है कि भूपेश बघेल के सालो से कट्टर समर्थक रहे मेंहतर वर्मा को इस उम्र में पार्टी क्यों छोड़नी पड़ी? वह भी तब जब पार्टी व समाज के महत्वपूर्ण पदों पर रहने का उन्हें अवसर मिला। कहना गलत नहीं होगा कि यह अवसर भी उन्हें मुख्यमंत्री भूपेश बघेल नहीं मुहैया कराया ।
दूसरी घटना उषा बारले का शानदार ढंग से भाजपा प्रवेश है उषा बारले पंडवानी की क्षेत्र की लोकप्रिय गायिका है। उन्हें भारत सरकार ने पद्मश्री सम्मान से भी नवाजा है। कुछ महीना पहले जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह दुर्ग आए थे, तो कार्यक्रम स्थल पर आने के पहले भिलाई में सेक्टर 1 स्थित उषा बारले के घर गए। उनसे कम से कम 20 मिनट तक मुलाकात किया। तभी से कयास लगाया जा रहा था कि वे भाजपा में प्रवेश करेंगी। संभावना है कि आरक्षित सीट अहिवारा विधानसभा से उन्हें टिकट मिल जाए और वह वहां पर भाजपा प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े। क्षेत्र में उषा बारले की जाति के लोगों के बहुलता है। पार्टी हाई कमान को लगता है कि उषा बारले अहिवारा सीट पर विजय दर्ज कर लेंगी। अहिवारा के ही रहने वाले प्रथम बाफना को प्रदेश कांग्रेस कमेटी की नई कार्यकरिणी में महासचिव का दायित्व सोपा गया है। अहिवारा में लाभचंद बाफना भाजपा के बड़े नेता है । भाजपा राज में वे विधायक व राज्य मंत्री दर्जा भी रहे हैं। संभवतः उन्ही के परिवार से वास्ता रखने वाले प्रथम बाफना को अवसर देखकर कांग्रेस लाभचंद बाफना को उनके क्षेत्र में एंगेज रखना चाहती है। लाभचंद बाफना अपने क्षेत्र में लोकप्रिय हैं। किंतु पिछला चुनाव नहीं निकल सके थे । कुछ सालों में छत्तीसगढ़िया फैक्टर जो कुलानचे मार रहा है । उस कड़ी में लाभचंद बाफना या प्रथम बाफना का राजनीतिक महत्व छत्तीसगढ़ में बदले हुए राजनीतिक समीकरण को दर्शाता है।
बहरहाल चुनाव के मदेनजर यह एहसास होता है कि भारतीय जनता पार्टी का प्रत्याशी चयन पूरे खोजबीन व फीडबैक लेने के बाद हो रहा है । एक-एक सीट पर मेहनत किया जा रहा है और योजना बनाया जा रहा है। पूर्व में कांग्रेस के भूपेश सरकार के लिए जो रास्ता आसान लग रहा था, जमीन पर उतर कर देखने पर वह उतना आसान नहीं दिखता बल्कि लगता है, कि फिर से सत्ता में आने के लिए कठोर मेहनत जरूरी होगा ।