आरएसएस को दी गई छत्तीसगढ़ में कमल खिलाने की जिम्मेदारी..
दक्षिणापथ समाचार। भारतीय जनता पार्टी को छत्तीसगढ़ की सत्ता में वापस लाने 4 हजार आरएसएस के कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंप गई है। भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव के पहले कई स्तरों पर सर्वेक्षण कराया। इस सर्वेक्षण के आधार पर ही शीर्ष नेतृत्व ने छत्तीसगढ़ में आरएसएस की मदद से छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने की रणनीति बनाई है । आरएसएस के हजारों कार्यकर्ता वैसे तो दो महीना पहले से ही छत्तीसगढ़ के विभिन्न इलाकों में जाकर काम करना शुरू कर दिए थे। मगर स्वमेव प्रक्रिया थी ।अभी आरएसएस प्रमुख ने छत्तीसगढ़ के चार हजार से ज्यादा आरएसएस के कार्यकर्ताओं को आमजनों के बीच जाकर भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार की उपलब्धि बताने और उन्हें भाजपा के वोट के रूप में कन्वर्ट करने की जिम्मेदारी दी है । यह जिम्मेदारी बड़ी है, जरूरी है।
आरएसएस के कार्यकर्ता सरगुजा से लेकर बस्तर तक और मध्य छत्तीसगढ़ के सभी हिस्सों में फैले हुए हैं । इन्हें कहा गया है कि आम जनता के बीच जाकर मोदी सरकार की उपलब्धियों का खाका खींचे, साथ ही लोगों को भाजपा को वोट देने के लिए प्रेरित करें।
दरअसल, छत्तीसगढ़ में भाजपा के पास मुद्दों की कमी है। राम, गाय जैसे मुद्दों को भूपेश सरकार ने भाजपा से छीन ली है । इन मुद्दों के झीना पड़ जाने के बाद भाजपा भ्रष्टाचार, धर्मांतरण विभिन्न परीक्षा सहित कोल घोटाले को मुद्दा बनाई है।
चुनावी मुद्दा बनाना एक बात है, लेकिन चुनाव में उसे भूना पाना दूसरी बात है। भाजपा नेतृत्व को लग रहा था कि पार्टी के कार्यकर्ता और नेता इन मुद्दों को ठीक ढंग से आम जनता के बीच रख नहीं पाए हैं । इसलिए आरएसएस को इसकी विशेष जिम्मेदारी दी गई है। आरएसएस इन मुद्दों के अलावा मोदी सरकार की उपलब्धियां सामने रखेगी।
बहरहाल, सभी जानते हैं कि छत्तीसगढ़ में सत्ता की चाबी धान से होकर जाती है। छत्तीसगढ़ में 80% लोग खेती किसानी से जुड़े हैं। उन लोगों तक अपनी बात पहुंचाने आरएसएस की सहायता ली जा रही है। आरएसएस कार्यकर्ताओं को आम किसानों तक पहुंचने के निर्देश दिए गए हैं।