असेम्बली चुनाव पर अन्तर्दलीय समीकरण बनना हुआ तेज..

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दुर्ग। छत्तीसगढ़ असेंबली चुनाव को 6 महीने का समय बाकी है ।स्वभाविक है अंतरदलीय समीकरण निर्माण की प्रक्रिया तेज हो गई है। बहरहाल, भाजपा और कांग्रेस के बीच ही यहां मुख्य मुकाबला है। अभी राज्य सत्ता में भूपेश सरकार भारी बहुमत से काबिज है। इन साढ़े 4 सालों में भूपेश सरकार ने स्वयं को लगातार मजबूत किया है।  आज भी  भूपेश सरकार छत्तीसगढ़ में इतनी मजबूत दिखती है कि भाजपा को मुकाबले में आने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ रहा है।  केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के दुर्ग की सभा को आगामी असेंबली चुनाव से सीधे तौर पर जोड़कर देखा जा सकता है । भाजपा के बड़े नेताओं का लगातार छत्तीसगढ़ आना जारी है । भाजपा के बड़े नेताओं को लगता है कि पुरजोर मेहनत कर छत्तीसगढ़ से भूपेश सरकार को बेदखल कर भाजपा की सरकार बनाई जा सकती है कर्नाटक चुनाव के बाद छत्तीसगढ़ भाजपा के लिए एक परीक्षा वाला राज्य बन गया है मध्यप्रदेश में भाजपा की शिवराज सरकार काबिज है, वही राजस्थान में कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार को चुनौती देने का प्रयास कांग्रेस के ही सचिन पायलट लगातार करते रहे हैं। किंतु छत्तीसगढ़ में स्थिति अलग है । यहां कांग्रेस एकजुट दिखती है। संगठन में यदि कोई मतभेद होगा तो उसका फर्क छत्तीसगढ़ में शायद ही देखने को मिले । उसकी मूल वजह भूपेश सरकार की मजबूती से टिके रहना है।  प्रदेश कांग्रेस अथवा प्रदेश सरकार में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का कोई विरोध नहीं दिखता। उन्हीं के चेहरे पर असेंबली चुनाव लड़ी जाएगी ।राजनीतिक प्रेक्षकों का अनुमान है की वर्तमान सूरते हाल में भूपेश की सरकार रिपीट होना तय है ।लेकिन भारत के गणतंत्र की विशेषता है कि अंडर करेंट को अब मतदाता जाहिर होने नहीं देते। चौका देने वाले चुनाव परिणाम कर्नाटक में भी देखने को मिला है । इसकी पुनरावृत्ति कहीं भी हो सकती है  । लिहाजा अति आत्मविश्वास से बचे रहना जरूरी है।