विजय बघेल की उम्मीदवारी से अंचल की राजनीति में हड़कंप...

दक्षिणापथ,दुर्ग। वही हुआ जिसका अंदेशा था। भाजपा हाईकमान ने आज छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव लिए 21 प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। पाटन से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ उनके परंपरागत प्रतिद्वंदी विजय बघेल को टिकट दिया है । विजय बघेल को पाटन से उतारकर भाजपा ने अंचल की राजनीति में हड़कंप मचा दिया है ।
यूं तो इस बात की संभावना पहले से ही व्यक्त की जा रही थी। किंतु चुनाव के 4 महीना पहले छत्तीसगढ़ के महत्वपूर्ण विधानसभा से पाटन से प्रत्याशी के तौर पर विजय बघेल को उतारकर भारतीय जनता पार्टी ने राजनीतिक प्रेक्षको को भी चौंका दिया है । पाटन सीट पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व सांसद विजय बघेल 2003 से ही आमने-सामने होते रहे हैं। 2008 के चुनाव में संसद विजय बघेल ने इस सीट पर भूपेश बघेल को शिकस्त दी थी । शेष दो चुनाव में विजय बघेल को पराजय का सामना करना पड़ा था।
पिछली 2018 के चुनाव में कांग्रेस के भूपेश बघेल के अपोजिट मोतीराम साहू को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया था। वह बुरी तरह हार गए थे। भूपेश बघेल जैसे राजनीति के धुरंधर खिलाड़ी के सामने मोतीराम साहू जैसे नए चेहरे को उतारने की बात किसी को हजम नहीं हुई थी । मगर ऐसा हुआ और वह चुनाव भूपेश बघेल के लिए सबसे आसान साबित हुआ । इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में विजय बघेल को भाजपा ने दुर्ग लोकसभा सीट से उम्मीदवार बनाया और उन्होंने भारी बहुमत से विजय दर्ज की।
भाजपा व कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि दोनों ही दलों के स्थानीय लोगो को ऐसा अंदेशा पहले से हो चुका था, कि पाटन मे विजय को प्रत्याशी बनाने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपनी सीट बदल भी नहीं सकते, क्योंकि इससे नीतिगत जवाबदेही उत्पन्न होना स्वाभाविक है।
बहरहाल विजय बघेल की पाटन में गहरी पैठ है । सभी जानते हैं मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पाटन क्षेत्र से यदि कोई टक्कर देने की क्षमता रखता है तो वह संसद विजय बघेल है । पाटन इलाके में दोनों के परंपरागत वोट बैंक है । पाटन विधानसभा क्षेत्र कुर्मी बहुल है । इसके अलावा साहू समाज, सतनामी समाज की भी बहुलता है। क्योंकि दोनों प्रत्याशी कुर्मी समाज से हैं और आपस में रिश्तेदार भी है। लिहाजा वोटो की सामाजिक ध्रुवीकरण का सवाल अब किनारे लग जायेगा। भाजपा से विजय बघेल को प्रत्याशी बनाने की घोषणा के बाद सबका ध्यान पाटन विधानसभा क्षेत्र पर टिक गया है । भूपेश बघेल को उसके गृह क्षेत्र में घेरने की रणनीति के तहत विजय बघेल को प्रत्याशी बनाया जाना कांग्रेस के लिए चुनौती है। अब भूपेश बघेल राज्य के अधिक सीटों पर ताबड़तोड़ चुनावी प्रचार प्रसार नहीं कर पाएंगे । ऐसा भाजपा का सोचना है ।
इसी तरह दुर्ग ग्रामीण विधानसभा सीट पर गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू के खिलाफ भी एक ऐसे प्रत्याशी को उतारे जाने की संभावना है जो उन्हें उनके क्षेत्र में कड़ी टक्कर दे सके । कुछ यही हाल कांग्रेस के कई अन्य बड़े नेताओं के क्षेत्रों में भी है। बताया गया कि भाजपा की रणनीति दिल्ली से चल रही है। गृह मंत्री अमित शाह छत्तीसगढ़ की राजनीति पर सीधा दखल दे रहे हैं। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का फीलगुड महसूस करने वाले लोगों के लिए यह झटका देने वाली खबर है। अमित शाह
एवं उनकी टीम मानती है की एक एक सीट पर ध्यानपूर्ण रणनीति से छत्तीसगढ़ में भाजपा की सत्ता काबिज की जा सकती है । अभी तक भाजपा ने अपनी चुनावी गतिविधियों की हल्की झलक ही दिखाई है आगे पता नहीं कैसे-कैसे निर्णय लिए जाएंगे।